ज्योतिष में उपाय कई प्रकार के बताए गए हैं जैसे कि दान, मन्त्र, जप, रत्न, औषध स्नान, तीर्थ तथा यन्त्र इत्यादि | जैसे कि कुछ उपाय निम्नलिखित हैं |
१. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में सूर्य निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित सूर्य मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ ह्रीं ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।।
२ – यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में चन्द्र निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित चन्द्र मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः।।
३. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में मङ्गल निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित मङ्गल मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।।
४. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में बुध निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित बुध मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।
५. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में गुरु निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित गुरु मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ ज्रां ज्रीं ज्रौं सः गुरुवे नमः।।
६. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में शुक्र निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित शुक्र मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ द्रां द्री द्रौं सः शुक्राय नमः।।
७. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में शनि निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित शनि मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
८. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में राहु निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित राहु मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।।
९. – यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में केतु निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित केतु मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः केतवे नमः।।
दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए। सूर्य से सम्बन्धित वस्तुओं का दान रविवार के दिन दोपहर में ४० से ५० वर्ष के व्यक्ति को देना चाहिए। सूर्य ग्रह की शांति के लिए रविवार के दिन व्रत करना चाहिए। गाय को गेहुं और गुड़ मिलाकर खिलाना चाहिए। किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को गुड़ का खीर खिलाने से भी सूर्य ग्रह के विपरीत प्रभाव में कमी आती है। अगर आपकी कुण्डली में सूर्य कमज़ोर है तो आपको अपने पिता एवं अन्य बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। प्रात: उठकर सूर्य नमस्कार करने से भी सूर्य की विपरीत दशा से आपको राहत मिल सकती है।
आपका सूर्य कमज़ोर अथवा नीच का होकर आपको परेशान कर रहा है अथवा किसी कारण सूर्य की दशा सही नहीं चल रही है तो आपको गेहूं और गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा आपको इस समय तांबा धारण नहीं करना चाहिए अन्यथा इससे सम्बन्धित क्षेत्र में आपको और भी परेशानी महसूस हो सकती है।
6. पुखराज- बृहस्पति या गुरु की राशि धनु और मीन राशि वालों के लिए पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। पुखराज धारण करने से प्रसिद्धि मिलती है। प्रसिद्धि से मान-सम्मान बढ़ता है। शिक्षा और करियर में यह लाभदायक है। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वाले लोग यदि पुखराज पहनते हैं तो संतान, विद्या, धन और यश में सफलता मिलती है।
7. नीलम- शनि की राशि कुंभ और मकर राशि वालों के लिए नीलम पहनने की सलाह दी जाती है। शनि लग्न, पंचम या 11वें स्थान पर हो तो नीलम नहीं। नीलम आसमान पर उठाता है और खाक में मिला भी देता है। इसीलिए कुंडली की जांच करने के बाद नीलम पहनें। यह व्यक्ति में दूरदृष्टि, कार्यकुशलता और ज्ञान को बढ़ाता है।
8. गोमेद- राहु के लिए गोमेद पहनने की सलाह दी जाती है। गोमेद धारण करने से नेतृत्व क्षमता का इजाफा होता है। कहते हैं कि गोमेद काले जादू से रक्षा करता है। अचानक लाभ पहुंचाता है और अचानक होने वाले नुकसान से भी रक्षा करता है।
9. लहसुनिया- केतु के लिए लहसुनिया पहनने की सलाह दी जाती है। इसे संस्कृत में वैदुर्य कहते हैं। व्यापार और कार्य में लहसुनिया पहनने से फायदा मिलता है। यह किसी की नजर नहीं लगने देता है।
१. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में सूर्य निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित सूर्य मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ ह्रीं ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।।
२. नित्य आदित्यह्रदय स्तोत्र का जप करें।
३. रविवार को काली गाय- बैल को गुड़ खिलायें
४. बन्दरों को गुड़ चना खिलायें।
५. सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य दें।
१. सोमवास को शिवलिंग पर दूध चढायें।
२. चावल का दान करें।
३. दूध तथा दही का दान करें।
४. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में चन्द्र निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित चन्द्र मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः।।
५. शिवमहिम्न स्तोत्र का जप करें।
१. मङ्गलवार को लाल गाय या बैल को गुड़ खिलायें।
२. किसी मन्दिर में लाल वस्त्र, फल और फूल चढायें।
३. ब्राह्मण को गुड़ का दान करें।
४. सुन्दरकाण्ड का पाठ करें।
५. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में मङ्गल निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित मङ्गल मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।।
१. गाय को हरा चारा खिलायें।
२. निर्धन विद्यार्थियों को कापी पैन्सिल आदि दान करें।
३. हरी रंग का कपड़ा, मेहंदी, फल, फूल आदि मन्दिर में दान करें।
४. विष्णु सहस्रनाम का जप करें।
५. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में बुध निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित बुध मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
१. पीले फूल तथा फल दान करें।
२. वृद्ध ब्राह्मण के पाँव छूयें।
३. चने की दान तथा केले दान करें।
४. . यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में गुरु निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित गुरु मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ ज्रां ज्रीं ज्रौं सः गुरुवे नमः
५. गजेन्द्र मोक्ष अथवा विष्णुसहस्त्रनाम का जप करें।
१. लक्ष्मी नारायण के मन्दिर में मिश्री अथवा श्वेत मिठाई चढायें।
२. श्वेत ज्वार के लड्डू गाय को खिलायें।
३. श्वेत वस्त्र, श्वेत अन्न तथा रसीले फल मन्दिर में चढायें।
४. कनकधारा स्तोत्र अथवा लक्ष्मी सहस्त्रनाम का जप करें।
५. यदि जन्म कुण्डली, वर्ष कुण्डली अथवा गोचर में शुक्र निर्बल, पीड़ित या अशुभ फलदायी हो तो शुभ मूहूर्त से प्रारम्भ करके निम्नलिखित शुक्र मन्त्र का जप करें।
मन्त्र – ऊँ द्रां द्री द्रौं सः शुक्राय नमः