VASTU SHASTRA | वास्तु शास्त्र

VASTU SHASTRA | वास्तु शास्त्र

वास्तोष्पते प्रतिजानीह्यस्मान् स्वावेशो अनमीवो भवा नः।
यत्त्वेमहि प्रति तन्नो जुष्स्व शं नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे।।
– ऋग्वेद

हे वासयोग्य भूमि के अधिष्ठाता वास्तुदेव हम आपकी स्तुति, पूजा यज्ञ करते हैं| आप हमें रोग व असमय शोक से दूर रखें, आप हमारे परिजनों व चौपाए धन की सुरक्षा करते हुए हमें शांति प्रदान करें|

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